पल्लवी दास की नई किताब, होप, डोंट लेट गो, सिर्फ़ निबंधों का कलेक्शन नहीं है—यह एक इमोशनल सफ़र है, जहाँ लेखिका अपने अनुभवों में पढ़ने वालों का हाथ थामकर उन्हें अंधेरे से रोशनी की ओर ले जाती है

कोलकाता – स्टाफ संवाददाता

दर्द, दुख, एंग्जायटी, या खुद पर शक—पल्लबी दास की नई किताब, होप, डोंट लेट गो, आपको ज़िंदगी के सबसे अंधेरे पलों में रोशनी ढूंढने का रास्ता दिखाने के लिए है। यह किताब सिर्फ़ निबंधों का कलेक्शन नहीं है—यह एक इमोशनल सफ़र है, जहाँ लेखिका अपने अनुभवों में पढ़ने वाले का हाथ थामकर उन्हें अंधेरे से रोशनी की ओर ले जाती है।

किताब में असल ज़िंदगी के अनुभव, खुद को गहराई से परखना, भावनाओं से निपटने के तरीके और मेंटल हेल्थ के लिए प्रैक्टिकल गाइडलाइंस हैं। जो लोग दुख, नुकसान, डर या अनिश्चितता से गुज़र रहे हैं—उनके लिए यह किताब एक दयालु साथी है। यह पढ़ने वाले को याद दिलाती है—“आप अकेले नहीं हैं, और आपका टूटना अंत नहीं है।”

किताब का मुख्य मैसेज साफ़ है—कभी उम्मीद मत छोड़ो, क्योंकि हर अंधेरे के बाद रोशनी होती है।

पल्लबी दास कौन हैं?

पल्लबी दास एक डिज़ाइनर, डिजिटल मार्केटर, लाइफ़ कोच, राइटर और GiftYour.in की फाउंडर हैं। वह अपनी ज़िंदगी की मुश्किलों, इमोशनल ब्रेकडाउन और रिकवरी के अनुभवों के बारे में लिखती हैं—और उस लेखन में, वह पढ़ने वाले के लिए एक सुरक्षित, दयालु और उम्मीद भरी जगह बनाती हैं।

उनका एक ही मकसद है—लोगों को यह यकीन दिलाना कि रिकवरी मुमकिन है, बदलाव मुमकिन है, और खुद पर यकीन करना सबसे बड़ी ताकत है।

होप, डोंट लेट गो पहले ही पढ़ने वालों के बीच चर्चा का केंद्र बन चुकी है—कई लोग कहते हैं कि यह किताब उन्होंने खुद लिखी है, क्योंकि पल्लवी के शब्दों ने उनके दिल के सबसे गहरे दर्द को आवाज़ दी है।

यह किताब सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं है—यह महसूस करने के लिए है।

धीरे-धीरे ठीक होने का सफ़र।

हाथ थामकर आगे बढ़ने का वादा।

और सबसे ज़रूरी—उम्मीद की ओर पीछे मुड़कर देखने की हिम्मत।

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