एल सैलिज़ो 2.0’ ने कोलकाता के कल्चरल कैलेंडर में एक नया चैप्टर जोड़ा

कोलकाता – स्टाफ संवाददाता

बहुत इंतज़ार किया जा रहा सालाना कल्चरल प्रोग्राम—“एल सैलिज़ो 2.0”—कल, 29 नवंबर, 2025 को मरीनर्स डी’हार्ट्स कमेटी की पहल पर मोहजति सदन में हुआ।

पूरे हफ़्ते शहर के आर्ट और कल्चर सीन में जो जोश बना हुआ था, वह शाम होते-होते अपने असली रूप में आ गया। ऑर्गनाइज़र ने म्यूज़िक, डांस और स्पोर्ट्स की तीनों दुनिया के स्टार्स को एक अनोखा कल्चरल फेस्टिवल बनाने के लिए एक साथ लाया।

शाम का मेन अट्रैक्शन ऑडियंस के पसंदीदा सिंगर नचिकेता चक्रवर्ती थे। उनके लाइव परफॉर्मेंस ने ऑडियंस को तालियों की गड़गड़ाहट से भर दिया। उनके साथ सिनेमा और टेलीविज़न के पॉपुलर सिंगर अविक मुखर्जी और ज़ी बांग्ला डांस सीज़न 11 के शानदार फाइनलिस्ट सौविक डे भी थे, जिन्होंने अपने डांस के जोश से स्टेज पर सबका मन मोह लिया। पूरे इवेंट को पॉपुलर RJ नीलांजन ने अच्छे से ऑर्गनाइज़ किया, जिन्होंने अपने नेचुरल ह्यूमर से ऑडियंस को बार-बार इम्प्रेस किया।

ऑर्गेनाइजिंग कमिटी के चीफ कन्वीनर अरिंदम मलिक, अभिषेक मजूमदार और अभिजीत घोष ने कहा कि इस साल उनका मकसद इवेंट को बड़े लेवल पर पेश करना था। स्पेशल गेस्ट की शानदार मौजूदगी ने इस इज्ज़त को कई गुना बढ़ा दिया है। चीफ गेस्ट मोहन बागान A.C. के प्रेसिडेंट देबाशीष दत्ता और एग्जीक्यूटिव कमिटी के मेंबर थे। इसके अलावा, बीमारी की वजह से मोहन बागान A.C. के पूर्व सेक्रेटरी श्री टूटू बोस वीडियो कॉल के ज़रिए मौजूद थे।

स्पोर्ट्स की दुनिया से भी कुछ खास लोग मौजूद थे—

बाबुन बनर्जी (जॉइंट सेक्रेटरी, बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया)

कुणाल साहा (जॉइंट सेक्रेटरी, वेस्ट बंगाल प्रोग्रेसिव बॉक्सिंग एसोसिएशन)

और डोमेस्टिक फुटबॉल के स्टार चेहरे—जोस बैरेटो, प्रबीर दास और प्रीतम कोर्टल।

शाम 5 बजे ‘महाजाति सदन’, 166 C.R. एवेन्यू में शुरू हुए इस रंगारंग इवेंट में आम लोगों और मीडिया का काफी ध्यान गया। मैरिनर्स डी’हार्ट्स कमेटी ने मीडिया को पहले से बुलाया था और उनसे इस “कल्चरल गैदरिंग” को देखने के लिए कहा था, और वहां मौजूद रिप्रेजेंटेटिव ने कहा कि “एल सैलिजो 2.0” बेशक उम्मीदों से बढ़कर था।

शहर के कल्चर के शौकीनों का कहना है कि इवेंट्स की यह सीरीज़ आने वाले दिनों में कोलकाता के कल्चरल मैप पर एक नया बेंचमार्क बनाने की क्षमता रखती है।
एल सैलिजो – अब सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक सालाना परंपरा बनती जा रही है।

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